गुरुवार, 14 जनवरी 2010

शिक्षा प्रणाली को सरल बना देगा राष्ट्रीय डाटा बेस प्रोग्राम

(नागपुर से निकलने वाले हिन्दी समाचार पत्र राष्ट्र प्रकाश के संपादकीय पृष्ट पर दिनांक 14 -9-2010 को प्रकाशित। )
सरकार का स्कूलों और कॉलेजों तक की डिगि्रयों और प्रमाण पत्रों का कंप्यूटरीकरण किया जाना अपने आप में न केवल एक सराहनीय और महत्पूर्ण कदम है. बल्कि आधुनिक और तकनीकी रूप से सम्पन्न हो रहे नये भारत की बेहद अहम जरूरत है जो कहीं न कहीं मौजूदा शैक्षेणिक ढांचे में काफी समय से महसूस की जा रही थी. सही मायनों में कहा जाए तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का असली आईटी सपनों का भारत अब अपने वास्तविक रूप में आकार ले रहा है. पिछले बीस से पच्चीस सालों में भारत आइर्टी के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपना दबदबा कायम कर चुका है. रोज-रोज डिगि्रयों, प्रमाण-पत्रों और स्थानांत्रण प्रमाण-पत्रों के लिए चक्कर लगाता युवा और फटी पुरानी फाइलों के उंचे अंबार में अपना समय खर्च कर पसीना बहाता सरकारी बाबू और एक बेहद जटिल शिक्षा प्रणाली जिसका एक छोर किसी अलमारी में कागजी दुनिया में बंद है तो दूसरा जाने किस सचिव या बाबू के दस्तखत की बाट जोहता हर तीसरे आदमी को परेशानी के चक्कर लगवा रहा है. सबकुछ खत्म और कंप्यूटर की एक की के आगोश में पूरी तरह सलीके से जमा हुआ. न कोई चकक्र और न कोई माथा पच्ची. वाकई में सरकार के इस कदम ने आजाद भारत के पचास सालो में शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी शंखनाद किया है. जटिलताएं खत्म की हैं, पेचीदगियों को सरल बनाया है. सबसे बड़ी बात है कि इस पूरे देश के शैक्षणिक कागजी ढांचे के कंप्यूटरीकरण से न केवल छात्रों को अपनी डिगि्रयों, प्रमाण-पत्रों स्थानांत्रण पत्र एक जगह कम समय में उपलब्ध होंगे बल्कि इससे अनावश्यक व्यय रूकेगा. यहां तक कि सरकारी कागजों के अंबार में हर साल हजारों डिगि्रयों के खोने और लाखों भविष्य को अधर में रखे जाने का सिलसिला भी थमेगा.
शिक्षा के इस राष्ट्रीय डाटाबेस का उपयोग करना बेहद आसान होगा. यह डाटाबेस इलेक्ट्रानिक फॉरमेट में होगा. इसमें छात्रों को अपने प्रमाण-पत्र और डिगि्रयां डालने के लिए काफी कम शुल्क देना होगा. इस व्यवस्था के अंतर्गत सभी छात्रों को एक पासवर्ड दिया जाएगा और इसे स्पेशल आइडेंटिटी नंबर से जोड़ा जाएगा. इसे बाद छात्रों को अपनी डिग्री ऑनलाइन भी मिलना शुरू हो जाएगी. यह पूरा सिस्टम देश के एजुकेशन सिस्टम को एक सरल स्वस्थ वातावरण का अहसास देगा. शिक्षा व्यवस्था में कई सालों से चली आ रही जटिलताओं की समाप्ति होगी.
भारत के शैक्षणिक ढांचे में आर्थिक उदारीकरण के बाद से याने पिछले पंद्रह से बीस सालों काफी कुछ बदलाव आया है. व्यापार, व्यवसाय और आर्थिक क्षेत्रों के खुल जाने से जहां दुनिया भर की संस्कृतियों ने अपने अपने आचार विचार, कला, भाषा, संस्कृति, खान पान, रहन-सहन , परंपरा और मूल्यों के साथ एक ओर जहां देश में दस्तक दी है वहीं वहां की तकनीक, शिक्षा परंपरा और व्यवस्था ने भी बडी ही तेजी के साथ इस देश में पैर पसारे हैं और इस सबका असर भारतीय शिक्षा के ढांचे में आज आसानी से दिखाई देता है. यहीं कारण है कि नेहरू के बाद के भारत की शिक्षा प्रणाली में अब इंजीनियरिंग, कंप्यूटर, भौतिकी, विज्ञान और हाईटेक टै्नॉलाजी से जुड़ी शिक्षा प्रणाली और उससे जुड़ी दूसरी शाखाएं, विधाएं एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में अंग बनीं है.
जाहिर है इससे पहले जहां राजनीति, समाज, दर्शन, साहित्य, संस्कृति समाज, भाषा ,कला जैसे विषय कॉलेजों में अपना विशेष स्थान रखते थे उनकी जगह आज इंजीनिरिंग, कंप्यूटर और टै्नॉलाजी से जुडे ऐसे विषयों ने अपनी जगह बनाई है जो न केवल रोजगारोन्मुखी है बल्कि आय का महत्वपूर्ण साधन बन चुके हैं. इन सब विषयों को अध्ययन-अध्यापन के साथ साथ पिछले पंद्रह बीस सालों में देश के युवा वर्ग न केवल एक खास जगह दी है बल्कि इस तरह की तकनीकी शिक्षा को उसने अपनी उदरपूर्ति का साधन भी बनाया है. जाहिर है जिस तेजी से तकनीकी कौशल और प्रबंधन शिक्षा के रूप में अपनी जगह बनाई है उतनी ही तेज गति से ऐसे तकनीकी कौशल और यंत्र सुसज्जित शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता भी महसूस हुई है. एक बेहतर तंत्र को एक बेहतर प्रणाली के साथ स्थापित करने में शिक्षा का ऐसा कंप्यूटरीकरण उसे लचीली , सरल और छात्रों के लिए आसान शिक्षा प्रणाली बनाएगा. दूसरी ओर शिक्षा में विषय के रूप में तकनीकी के प्रवेश ने शिक्षा को व्यावसायिक भी बना दिया है. जैसे जैसे यह अपने पैर पसार रहा है उतनी ही तेज गति से यहां के समाज और यहां के जनमानस में शिक्षा को लेकर व्यवसायिक सकारात्मक नजरिया विकसित हुआ है. वहीं इस जनमानस ने अब शिक्षा के परंपरावादी सोच और नैतिक मूल्यों से जुडे़ वैचारिक मानस से खुदको अलग रखकर भी देखना शुरू किया है.
जाहिर है वह पहले से ज्यादा विस्तारित होकर शिक्षा के आर्थिक और रोजगारोन्मुखी नजरिये से काफी से गहराई से जुड़ रहा है. बढती जनसंख्या और संसाधनों की कमी के चलते जहां भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों जो सबसे ज्यादा कस्बे और भारत के दूसरी श्रेणी के शहरों मे बहुतायत में है वहां से लगातार बढ़ रही पढ़े लिखे युवावर्ग की फौज को सरकार के लिए सम्भांलना और उसे रोजगार के सही और उचित संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए पूरे शिक्षा जगत को कंप्यूटर से जोड़कर उसे एक नई कार्यशैली और प्रणाली मे विकसित करने की बेहद अहम जरूरत है.
आज से कुछ सालो बाद जहां तकनीकी शिक्षा व्यवस्था अपने चरम पर होगी. आय के साधन और रोजगार के लिए तकनीकी कौशल को होना भी एक बडी जरूरत होगी वहां निश्चित ही सरकार का शिक्षा को लेकर राष्ट्रीय डाटाबेस बनाने का यह कदम बेहद क्रांतिकारी और बहूमूल्य साबित होगा. किसी भी देश का आधारभूत ढांचा उस देश की विकास की सबसे बड़ी नींव होती है. एक बेहतर जनसंसाधन और दुनिया की सबसे बड़ी युवा फौज को नेतृत्व देने वाले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए ये बेहद जरूरी है कि वह आने वाले समय की चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी शिक्षा प्रणाली को चुस्त-दुरूस्त करे और पुख्ता आधार दे. प्रणाली को सरल बनाए तब जाकर कहीं प्रोडेक्टीव पॉपुलेशन का फंडा सफल हो पाएगा.
अब सरकार को चाहिए कि डॉटाबेस बनाने की इस पहल को घोषणाओ के पुलिंदे से बाहर निकालकर जल्द से जल्द क्रियान्वयन की दिशा में ला खड़ा करे. वहीं शिक्षा के कंप्यूटरीकरण के अलावा यूपीए सरकार को चाहिए कि देश की जिला न्यायालयों, उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के बीच भी इस तरह का डाटाबेस प्रोग्राम तैयार करवाए जिससे न्यायालयीन प्रिक्रया में तेजी आए, मुकदमों का निपटारा हो, और एक स्वस्थ और सरकार न्याय प्रणाली भी विकसित हो.

4 टिप्‍पणियां:

Sheetal Upadhyay ने कहा…
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Sheetal Upadhyay ने कहा…

Sonu, Bahut bahut badhaiyan aap ke article ke liye. Aur badhaiyan...
un tamam Bharat wasiyonko jinke liye yah National Data Base system indian education system mein nayi kranti layega.

Madhukar Panday ने कहा…

Nai umar ki nai fasal.......bahut achchha likha hai...iska followup bhi karna....taaki janta is ghoshnaa ke kriyanvayan se bhi avgat rahe.......keep it up....isi tarah ke bhinn vishayon par likhoge to ek alag pehchan banegi....very good.

Naren ने कहा…

I am over whilmed to read this. This is extremely powerful. You will reach hights with your power of language

i wish you all the very Best...

Narendra