मुसाफिर की संदूक में सब रखा है. छूटे हुए की दास्तां, अनकहे का कहा, अलविदा की खामोशी और गलत पते की चिठ्ठियां.
सराय से राजी खुुशी जाना.
सफर की सलामती..!
सोमवार, 22 अप्रैल 2013
इतिहास
इतिहास को किताबों में नहीं
आदमी के पेट में तलाशना होगा
जहाँ दुनिया के पैदा होने से लेकर
आज तक का इतिहास
भूख से लडता हुआ,
आज भी अपनी सही परिभाषा तलाश रहा है.....!!
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